हिमाचल प्रदेश का कुल्लू जिला पर्वतीय क्षेत्र होने के साथ साथ घाटियों का भी जिला है। इन घाटियों में छोटे बड़े कई नदी नाले बहते है। यदि पश्चमी हिमालय में एक ऐसा पहाड़ी क्षेत्र चुना जाए जो प्राकृतिक सौन्दर्य और संसाधनों से भरपूर हो, जिसका अधिकांश क्षेत्र वनों, नदी,नालों, झीलों, झरनों और ढ़लानों से भरा हो,जहां बहुत कम लोग निवास करते हो शायद इसका जबाब यही होगा कि हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला की तीर्थन घाटी. जहां की वादियां शान्त, सुरम्य और प्रदूषण मुक्त हो, जहां पर नदी नाले ,झील झरने यहां के परिदृश्य को सुशोभित करते हो, जहां प्राकृतिक संगीत की सुर लहरियां हो, पारम्परिक मेले और त्यौहार जहां गौरवमयी इतिहास का साक्ष्य प्रस्तुत करते हो तथा जहां पर अतिथि: देवों: भव: चरितार्थ होता हो। बात चाहे आस्था की हो या आस्था स्थली की, कुदरत के नजारों की हो या जैविक विविधिता के अनूपम खजाने की वास्तव में तीर्थन घाटी का कोई सानी नहीं है। पश्चमी हिमालय के सुदूर क्षेत्र बंजार की तीर्थन घाटी में स्थित ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क को वर्ष 2014 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर का दर्जा दिया गया। यह नेशनल पार्क भारत के बहुत ही खूबसूरत नेशनल पार्कों में से एक है जिसका क्षेत्रफल करीब 765 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।यहां पर अद्वितीय प्राकृतिक सौन्दर्य और जैविक विविधिता का अनुपम खजाना है।इस नेशनल पार्क का महत्व यहां पाई जाने वाली दुर्लभतम जैविक विविधता से ही है। वन्य जीव हो या परिन्दा, चिता, भालू, घोरल, ककड़, जेजू राणा, मोनाल सरीखे कई परिन्दे व जीवजन्तु और वन वनस्पति औषधीय जड़ी बूटियां यहां मौजूद है। इस पार्क की विशेषता यह भी है कि यहां पर वन्य जीवों व परिन्दों की वे प्रजातियां आज भी पाई जाती है जो समूचे विश्व में दुर्लभ होने के कगार पर है। बात चाहे वन्य प्राणियों की हो चाहे परिन्दों की हो
हिमाचल प्रदेश का कुल्लू जिला पर्वतीय क्षेत्र होने के साथ साथ घाटियों का भी जिला है। इन घाटियों में छोटे बड़े कई नदी नाले बहते है। यदि पश्चमी हिमालय में एक ऐसा पहाड़ी क्षेत्र चुना जाए जो प्राकृतिक सौन्दर्य और संसाधनों से भरपूर हो, जिसका अधिकांश क्षेत्र वनों, नदी,नालों, झीलों, झरनों और ढ़लानों से भरा